HPV vaccine girl Brazil Pan American Health Organization/Flickr

महिलाओं के सबसे बड़े दूसरे जानलेवा ख़तरे को रोकना

जेनेवा – महिलाओं के लिए, इस दुनिया में जीवन को लाने के कार्य का ऐतिहासिक दृष्टि से अर्थ उनके अपने जीवन को खतरे में डालना रहा है क्योंकि प्रसव के दौरान मौत होने की संभावना वास्तविक होती है। लेकिन यद्यपि, गरीब देशों में मातृ मृत्यु को कम करने के मामले में उल्लेखनीय प्रगति हो रही है, परंतु ये लाभ महिलाओं के स्वास्थ्य के खतरों में बढ़ोतरी होने के कारण बेअसर हो सकते हैं। पहली बार, हर वर्ष गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की वजह से होने वाली मौतों की संख्या प्रसव के कारण होनेवाली मौतों से अधिक होने की संभावना है।

यह प्रवृत्ति आंशिक रूप से मातृ मौतों को कम करने के प्रयासों की सफलता को दर्शाती है। 1990 से, महिलाओं की प्रसव के कारण होनेवाली मौतों की संख्या लगभग आधी होकर 2,89,000 प्रति वर्ष हो गई है। तथापि, उसी अवधि के दौरान, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से होने वाली वार्षिक मौतों में लगभग 40% की वृद्धि होने से इनकी संख्या 2,66,000 हो गई है। हालाँकि देखभाल के बेहतर स्तरों के कारण मातृ मृत्यु दरों में कमी होती जा रही है, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से होने वाली मौतों में और बढ़ोतरी होने की संभावना है। 2035 तक, इस बीमारी के फलस्वरूप हर वर्ष 4,16,000 महिलाओं के धीरे-धीरे और दर्द से मरने की संभावना है - लगभग ये सभी मौतें विकासशील देशों (ज्यादातर उप सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया) में होंगी।

त्रासदी यह है कि इन सभी मौतों को लगभग पूरी तरह से रोका जा सकता है। स्क्रीनिंग और इलाज के साथ, ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के टीकों से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के अधिकतर मामलों को रोका जा सकता है। लेकिन गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से मरनेवाली महिलाओं में से लगभग 90% विकासशील देशों में हैं, जहाँ उनमें से बहुत अधिक महिलाओं के लिए स्क्रीनिंग सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं, और इलाज तो उससे भी बहुत कम उपलब्ध है।

दुनिया में गर्भाशय के कैंसर से सर्वाधिक संख्या में मौतें होनेवाले देश भारत में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में पूर्व अतिरिक्त सचिव के रूप में, मैंने खुद अपनी आँखों से इस बीमारी के प्रभाव को देखा है। विशेष रूप से खौफ़नाक बात यह है, यह उम्मीद को भी पूरी तरह से ख़त्म कर देती है। उदाहरण के लिए, एचआईवी से ग्रस्त महिलाओं के विशेष रूप से इस रोग से ग्रस्त होने की संभावना होती है। फिर भी, एचआईवी के लिए बेहतर उपचार उपलब्ध होने के कारण, महिलाएँ अब केवल गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से मरने के लिए ही एचआईवी से जीवित बच जाती हैं।

2010 में, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की कुल वैश्विक लागत लगभग $2.7 बिलियन प्रति वर्ष होने का अनुमान लगाया गया था। यदि हम इसके बारे में अभी से कुछ नहीं करते हैं, तो 2030 तक इसके बढ़कर $4.7 बिलियन होने की संभावना है।

सौभाग्य से, टीकों की उपलब्धता अब बढ़ती जा रही है। सुरक्षित और प्रभावी एचपीवी टीके बाज़ार में 2006 से मिल रहे हैं जो एचपीवी टाइप 16 और 18 से रक्षा प्रदान करते हैं, गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के सभी मामलों में से 70% मामले इनके कारण होते हैं। नए स्वीकृत टीके और भी अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं।

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अमीर देशों में, एचपीवी टीकों की कीमत अक्सर प्रति खुराक 100 डॉलर से भी अधिक रखी जाती है। लेकिन वैक्सीन एलायंस, गावी ने निर्माताओं को विकासशील देशों में इसकी कीमतों को कम रखने के लिए राज़ी किया है। हाल ही में, हमने एचपीवी के टीकों के लिए अब तक की सबसे कम कीमत $4.50 प्रति ख़ुराक हासिल की है, जिससे 27 देशों में उन सबसे गरीब लाखों लड़कियों के लिए अवसर खुल गए हैं जिन्हें यह टीका लगाया जाना है। हमारा अनुमान है कि 2020 तक, गावी द्वारा 40 से अधिक विकासशील देशों में 30 मिलियन से अधिक लड़कियों की एचपीवी से रक्षा के लिए टीका लगवाने में मदद की जा चुकी होगी।

टीके के आर्थिक लाभ बहुत अधिक हैं। प्रभावी स्क्रीनिंग और उपचार सेवाओं को स्थापित करने के लिए समय और भारी निवेश की ज़रूरत पड़ती है। और, यह देखते हुए कि उच्च आय वाले देशों को भी कैंसर के उपचारों की लागत को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, रोकथाम करना स्पष्ट रूप से कहीं अधिक कारगर विकल्प है। इसके अलावा, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर महिलाओं को आर्थिक दृष्टि से उनके सबसे अधिक उत्पादक वर्षों के दौरान हमला करता है, जब समाज और अर्थव्यवस्था में उनका योगदान सबसे अधिक होता है। रोग सिर्फ जीवनों को नष्ट नहीं करता है; यह परिवारों को भी गरीब बना देता है और आर्थिक विकास को भी हानि पहुँचाता है।

टीकाकरण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकार समूह द्वारा पिछले वर्ष की गई सिफारिश के फलस्वरूप टीके की वास्तविक लागत और अधिक कम हो जाने की आशा है क्योंकि अब एचपीवी टीके की सिर्फ दो खुराकें ही काफ़ी होंगी जबकि इससे पहले यह माना जाता था कि इसकी तीन खुराकें लेना आवश्यक है। इससे न केवल टीके की खरीद और वितरण की कुल लागत कम हो जाएगी; बल्कि इससे स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों और स्वयं लड़कियों को भी आसानी होगी।

डब्ल्यूएचओ और लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन द्वारा जून में प्रकाशित एक अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि 179 देशों में 58 मिलियन लड़कियों को टीके लगाए जाने से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के 6,90,000 मामलों और इस रोग से होनेवाली 4,20,000 मौतों को रोका जा सकेगा। दुर्भाग्यवश, इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि जिन 33 देशों में कैंसर को रोकने में एचपीवी टीकों का सबसे अधिक प्रभाव होने की संभावना है, उनमें से 26 देशों ने अभी तक इस टीके को शुरू ही नहीं किया है।

अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। हमें स्वयं को सौभाग्यशाली मानना चाहिए कि हम 1990 से अब तक मातृ मृत्यु दर को लगभग आधा कर सके हैं। लेकिन हमें गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के खतरे पर पूरी नज़र रखनी चाहिए। यह आवश्यक है कि हम अभी से कार्रवाई करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक लड़की को एचपीवी टीकों की सुविधा मिलती है और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से मुक्त एक स्वस्थ भविष्य मिलता है, चाहे वह कहीं भी रहती हो।

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