लंदन – अगर कोई एक तत्व विश्व की अर्थव्यवस्था के भाग्य का निर्धारण करता है, तो यह तेल के एक बैरल की कीमत है। 1970 के बाद से हर वैश्विक मंदी से पहले तेल की कीमत कम-से-कम दुगुनी हुई है, और हर बार जब तेल की कीमत गिर कर आधी हुई है और लगभग छह महीने तक कम बनी रही है, तो उसके बाद वैश्विक विकास में भारी तेज़ी आई है।
लंदन – अगर कोई एक तत्व विश्व की अर्थव्यवस्था के भाग्य का निर्धारण करता है, तो यह तेल के एक बैरल की कीमत है। 1970 के बाद से हर वैश्विक मंदी से पहले तेल की कीमत कम-से-कम दुगुनी हुई है, और हर बार जब तेल की कीमत गिर कर आधी हुई है और लगभग छह महीने तक कम बनी रही है, तो उसके बाद वैश्विक विकास में भारी तेज़ी आई है।