सिएटल – जिस समय कुछ चुनिंदा दवा कंपनियों की कीमत-वसूल करनेवाली प्रथाएँ सुर्खियों में छा रही हैं, इस कहानी के परेशान करने वाले एक पहलू पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जेनरिक दवाओं सहित मौजूदा दवाओं की कीमतों में होनेवाली अत्यधिक बढ़ोतरियाँ, बेहताशा मुनाफाखोरी से प्रेरित नहीं हैं, बल्कि नई दवाओं को विकसित करने की आर्थिक व्यवहार्यता के बारे में गहरे संदेह से भी प्रेरित हैं। यह संदेह जायज़ है।
दवा के विकास के लिए वित्तपोषण के पारंपरिक मॉडल डगमगा रहे हैं। अमेरिका और कई अन्य विकसित देशों में, किसी नई दवा को बाजार में लाने की औसत लागत आसमान छू रही है, हालाँकि उद्योग की सबसे अधिक लाभदायक दवाओं में से कुछ के पेटेंट की अवधि समाप्त हो चुकी है। वेंचर कैपिटल ने प्रारंभिक चरण की जीवन विज्ञान कंपनियों से हाथ खींच लिए हैं, और बड़ी दवा कंपनियों ने देखा है कि अनुसंधान और विकास पर खर्च किए गए प्रति डॉलर की तुलना में बाज़ार में बहुत कम दवाएँ पहुँचती हैं।
वास्तव में, औसत रूप से, प्रारंभिक चरण के अनुसंधान में संभावित रूप से उपयोगी के रूप में पहचान किए गए प्रत्येक 10,000 यौगिकों में से केवल एक को ही अंततः नियामकों से मंजूरी प्राप्त होगी। अनुमोदन प्रक्रिया में 15 वर्ष जितना लंबा समय लग सकता है और इसमें सावधानी को वरीयता दी जाती है। यहाँ तक कि जो दवाएँ मानव चिकित्सीय परीक्षणों के लिए अनुमोदित होती हैं, उनमें से पाँच में से केवल एक दवा ही अंतिम बाधा को पार कर पाती है।
"धीमी गति की इन विफलताओं” की कीमत बहुत भारी हो सकती है। उदाहरण के लिए, फाइज़र ने कोलेस्ट्रॉल कम करने की अपनी दवा, टॉर्सेट्रापिब पर कथित तौर पर $800 मिलियन की राशि, 2006 में तृतीय चरण के चिकित्सीय परीक्षण से इसे वापस लेने से पहले खर्च की थी। अधिकतर निवेशकों के लिए यह एक अनाकर्षक संभावना है। चूँकि किसी एक यौगिक का, या यहाँ तक कि किसी कंपनी विशेष का समर्थन करने का खतरा इतना अधिक होता है कि निवेश पूंजी के विशाल भंडार, दवा के विकासकर्ताओं के लिए पहुँच से बाहर रहते हैं।
इन दबावों से प्रेरित होकर, वित्त विशेषज्ञों ने वित्तपोषण के लिए ऐसे कई विकल्प प्रस्तावित किए हैं जो बायोफार्मा निवेशों के जोखिम को कम करने के साथ किए जाने वाले अनुसंधान एवं विकास की कार्यकुशलता और उत्पादकता में सुधार भी करते हैं। हालाँकि उद्योग में लगे लोग, इस पर कार्रवाई करने में ढीलापन दिखा सकते हैं, अगली पीढ़ी के बायोफार्मा केंद्रों का निर्माण करनेवाले विकासशील देशों के पास वैकल्पिक मॉडलों को अपनाकर उनका लाभ उठाने का अनूठा अवसर है।
इनमें से अधिकतर मॉडल निवेशों को जोखिमरहित बनाने की सामान्य रणनीति: विशाखीकृत पोर्टफोलियो तैयार करने पर बने हैं। दो दशक पहले, रॉयल्टी फार्मा नामक एक कंपनी ने बहुविध दवा रॉयल्टी प्रवाहों में स्वामित्व के हितों वाली एक निधि का निर्माण करके, विशाखीकृत मॉडल आरंभ किया था। रॉयल्टी फार्मा ने भारी संभावनाओं वाली अनुमोदित दवाओं पर ध्यान केंद्रित किया जिनसे शेयर बाजार में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव की अवधियों के दौरान भी स्थिर आय प्रवाह और प्रभावशाली इक्विटी लाभ प्राप्त होते हैं।
At a time of escalating global turmoil, there is an urgent need for incisive, informed analysis of the issues and questions driving the news – just what PS has always provided.
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लेकिन रॉयल्टी फार्मा का मॉडल सरकारी अनुदानों द्वारा समर्थित बुनियादी अनुसंधान और नैदानिक परीक्षणों में दवाओं के अंतिम चरण के विकास के बीच धन की खाई को नहीं पाट सकेंगे। चूँकि इस अनुसंधान एवं विकास की "मौत की घाटी" में संबंधित दवाएँ उन चीज़ों की अपेक्षा अधिक जोखिमपूर्ण हैं जिनमें रॉयल्टी फार्मा निवेश करती है, सामान्य निवेशकों को जोखिम के जो स्तर और लाभ की दरें स्वीकार्य होती हैं उन्हें प्राप्त करने के लिए यौगिकों के उससे भी बड़े पोर्टफोलियो की जरूरत होगी।
इस पोर्टफोलियो को कितना अधिक बड़ा होना होगा? हम में से एक व्यक्ति (लो) ने प्रारंभिक और बीच के चरण वाली कैंसर की दवाओं के लिए विशाखीकृत निधियों के आभासी अनुमान लगाए हैं, जिनसे यह पता चलता है कि $5-30 बिलियन के तथाकथित मेगाफ़ंड से, जिसमें 100-200 यौगिकों का समावेश हो, निवेश को पर्याप्त रूप से जोखिमरहित किया जा सकता है और उससे 9-11% के बीच लाभ भी अर्जित किए जा सकते हैं।
यह उद्यम पूंजीपतियों और निजी इक्विटी निवेशकों के लिए कोई आकर्षक क्षेत्र नहीं है, लेकिन यह पेंशन फंड, धर्मादा निधियों, और सरकारी धन निधियों जैसे संस्थागत निवेशकों की उम्मीदों के अनुरूप है। इसके अलावा, विविधीकरण से जोखिम में कमी होने से मेगाफ़ंड ऋण और इक्विटी भी बड़ी मात्राओं में जारी कर सकते हैं जिससे संभावित निवेशकों का समूह और भी अधिक व्यापक हो जाएगा।
इन आँकड़ों को संदर्भ से जोड़ने के लिए, इस पर विचार करें कि यूएस नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हैल्थ बुनियादी चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में प्रतिवर्ष $30 बिलियन से कुछ अधिक की निधि लगाती है, और फ़ार्मास्युटिकल रिसर्च एंड मैन्युफ़ैक्चरर्स ऑफ़ अमेरिका के सदस्यों ने अनुसंधान एवं विकास पर पिछले वर्ष लगभग $51 बिलियन की राशि खर्च की थी। मेगाफ़ंड दृष्टिकोण से इन दोनों निवेशों के बीच धन की खाई को पाट देने पर दोनों निवेशों को और अधिक उत्पादक बनाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, यह मॉडल छोटे पैमाने पर काम कर सकता है। और अधिक किए गए आभासी अनुमान यह दर्शाते हैं कि ऐसे रोगों के लिए चिकित्सा जैसे कुछ दवा वर्गों में विशेषज्ञता वाली निधियों के मामले में पोर्टफोलियो में सिर्फ $250-500 मिलियन डॉलर और अपेक्षाकृत कम यौगिकों के होने पर लाभ की दर दो अंकों में प्राप्त की जा सकती है।
बेशक, इस दृष्टिकोण में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। संबंधित यौगिकों के बड़े समूह और साथ ही किए जानेवाले दर्जनों दवा परीक्षणों का प्रबंध करना आसान नहीं होगा। सिमुलेशन से पता चलता है कि मेगाफ़ंड सभी चिकित्सीय क्षेत्रों में, सभी वर्गों की दवाओं के लिए काम नहीं करेंगे। उदाहरण के लिए, अल्ज़ाइमरों के उपचारों के विकास में मेगाफ़ंड मॉडल से लाभ होने की संभावना नहीं है।
लेकिन मेगाफ़ंड जहां काम करते हैं, वे दवा के विकास को काफी अधिक कुशल, और इसलिए कम महंगा भी बना सकते हैं। जीनोमिक्स क्रांति के बाद से कोई भी कंपनी पैमाने या वित्त की दृष्टि से, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई सभी प्रगतियों का अकेले उपयोग करने में सक्षम नहीं है, लेकिन किसी मेगाफ़ंड-समर्थित प्रयास से यह हो सकता है।
इस निधि द्वारा नियोजित शोधकर्ताओं द्वारा अलग-अलग परियोजनाओं में व्याप्त ज्ञान, सुविधाओं, और अत्याधुनिक उपस्कर, डेटा, और कंप्यूटिंग संसाधनों को साझा किया जा सकता है। विफलताएँ तेजी से और बहुत सस्ती होंगी क्योंकि हितधारक किसी एक परियोजना पर कम निर्भर होंगे।
उभरते बाजार वाले देशों को यह ध्यान रखना चाहिए। अधिकांश दवा और जैव प्रौद्योगिकी उद्योगों का पीछा कर रहे हैं। चीन ने सैकड़ों जीवन-विज्ञान अनुसंधान पार्कों की स्थापना की है और दवाओं के विकास के लिए राष्ट्रीय निधि में अरबों डॉलर के लिए प्रतिबद्धता की है; इसी तरह के कार्यक्रम भारत, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया में शुरू हो रहे हैं।
इन देशों के लिए, जैव-प्रौद्योगिकी शुरू करने या बड़ी दवा कंपनियों को प्रोत्साहन देने की पेशकश करने की तुलना में, सैकड़ों की संख्या में यौगिकों का परीक्षण करने के लिए किसी मेगाफ़ंड की स्थापना करना कहीं अधिक बेहतर होगा। बायोफार्मा मेगाफ़ंड से उद्योग में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा, जिससे विकास की लागतें कम होंगी, सफलता दर अधिक होगी, और बाजार तक शीघ्र पहुँच होगी। क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को अधिक वेतन वाली अनुसंधान नौकरियों, उद्यमियों, निवेशकों, और सेवा प्रदाताओं के उन्हीं नेटवर्कों से लाभ प्राप्त होगा जो परंपरागत जीवन विज्ञान के नवाचार केंद्रों द्वारा तैयार किए जाएँगे।
लंदन के महापौर ने हाल ही में दवा के विकास में अग्रणी की भूमिका को बनाए रखने के लिए यूनाइटेड किंगडम की मदद करने के लिए $15 बिलियन के मेगाफ़ंड का प्रस्ताव करके इसी दृष्टिकोण को अपनाया। प्रत्यक्ष निवेश के अलावा, सरकारें इस प्रकार की निधियों का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहन भी दे सकती हैं - उदाहरण के लिए, बायोफार्मा अनुसंधान के लिए जारी बांडों के लिए गारंटी देकर।
किसी दवा को प्रयोगशाला से रोगी के बिस्तर तक पहुँचाने के लिए लंबे समय तक धनराशियों के भारी निवेश की आवश्यकता होती है। इस निधि निवेश का लाभ समाज और निवेशकों दोनों को मिलना चाहिए। उभरते देश दवा के विकास का वित्तपोषण करने के नए तरीके शुरू करके अग्रणी बनकर दुनिया के लिए बेहतर स्वास्थ्य और अधिक धन-दौलत का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
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US President Donald Trump’s import tariffs have triggered a wave of retaliatory measures, setting off a trade war with key partners and raising fears of a global downturn. But while Trump’s protectionism and erratic policy shifts could have far-reaching implications, the greatest victim is likely to be the United States itself.
warns that the new administration’s protectionism resembles the strategy many developing countries once tried.
It took a pandemic and the threat of war to get Germany to dispense with the two taboos – against debt and monetary financing of budgets – that have strangled its governments for decades. Now, it must join the rest of Europe in offering a positive vision of self-sufficiency and an “anti-fascist economic policy.”
welcomes the apparent departure from two policy taboos that have strangled the country's investment.
सिएटल – जिस समय कुछ चुनिंदा दवा कंपनियों की कीमत-वसूल करनेवाली प्रथाएँ सुर्खियों में छा रही हैं, इस कहानी के परेशान करने वाले एक पहलू पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जेनरिक दवाओं सहित मौजूदा दवाओं की कीमतों में होनेवाली अत्यधिक बढ़ोतरियाँ, बेहताशा मुनाफाखोरी से प्रेरित नहीं हैं, बल्कि नई दवाओं को विकसित करने की आर्थिक व्यवहार्यता के बारे में गहरे संदेह से भी प्रेरित हैं। यह संदेह जायज़ है।
दवा के विकास के लिए वित्तपोषण के पारंपरिक मॉडल डगमगा रहे हैं। अमेरिका और कई अन्य विकसित देशों में, किसी नई दवा को बाजार में लाने की औसत लागत आसमान छू रही है, हालाँकि उद्योग की सबसे अधिक लाभदायक दवाओं में से कुछ के पेटेंट की अवधि समाप्त हो चुकी है। वेंचर कैपिटल ने प्रारंभिक चरण की जीवन विज्ञान कंपनियों से हाथ खींच लिए हैं, और बड़ी दवा कंपनियों ने देखा है कि अनुसंधान और विकास पर खर्च किए गए प्रति डॉलर की तुलना में बाज़ार में बहुत कम दवाएँ पहुँचती हैं।
वास्तव में, औसत रूप से, प्रारंभिक चरण के अनुसंधान में संभावित रूप से उपयोगी के रूप में पहचान किए गए प्रत्येक 10,000 यौगिकों में से केवल एक को ही अंततः नियामकों से मंजूरी प्राप्त होगी। अनुमोदन प्रक्रिया में 15 वर्ष जितना लंबा समय लग सकता है और इसमें सावधानी को वरीयता दी जाती है। यहाँ तक कि जो दवाएँ मानव चिकित्सीय परीक्षणों के लिए अनुमोदित होती हैं, उनमें से पाँच में से केवल एक दवा ही अंतिम बाधा को पार कर पाती है।
"धीमी गति की इन विफलताओं” की कीमत बहुत भारी हो सकती है। उदाहरण के लिए, फाइज़र ने कोलेस्ट्रॉल कम करने की अपनी दवा, टॉर्सेट्रापिब पर कथित तौर पर $800 मिलियन की राशि, 2006 में तृतीय चरण के चिकित्सीय परीक्षण से इसे वापस लेने से पहले खर्च की थी। अधिकतर निवेशकों के लिए यह एक अनाकर्षक संभावना है। चूँकि किसी एक यौगिक का, या यहाँ तक कि किसी कंपनी विशेष का समर्थन करने का खतरा इतना अधिक होता है कि निवेश पूंजी के विशाल भंडार, दवा के विकासकर्ताओं के लिए पहुँच से बाहर रहते हैं।
इन दबावों से प्रेरित होकर, वित्त विशेषज्ञों ने वित्तपोषण के लिए ऐसे कई विकल्प प्रस्तावित किए हैं जो बायोफार्मा निवेशों के जोखिम को कम करने के साथ किए जाने वाले अनुसंधान एवं विकास की कार्यकुशलता और उत्पादकता में सुधार भी करते हैं। हालाँकि उद्योग में लगे लोग, इस पर कार्रवाई करने में ढीलापन दिखा सकते हैं, अगली पीढ़ी के बायोफार्मा केंद्रों का निर्माण करनेवाले विकासशील देशों के पास वैकल्पिक मॉडलों को अपनाकर उनका लाभ उठाने का अनूठा अवसर है।
इनमें से अधिकतर मॉडल निवेशों को जोखिमरहित बनाने की सामान्य रणनीति: विशाखीकृत पोर्टफोलियो तैयार करने पर बने हैं। दो दशक पहले, रॉयल्टी फार्मा नामक एक कंपनी ने बहुविध दवा रॉयल्टी प्रवाहों में स्वामित्व के हितों वाली एक निधि का निर्माण करके, विशाखीकृत मॉडल आरंभ किया था। रॉयल्टी फार्मा ने भारी संभावनाओं वाली अनुमोदित दवाओं पर ध्यान केंद्रित किया जिनसे शेयर बाजार में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव की अवधियों के दौरान भी स्थिर आय प्रवाह और प्रभावशाली इक्विटी लाभ प्राप्त होते हैं।
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इस पोर्टफोलियो को कितना अधिक बड़ा होना होगा? हम में से एक व्यक्ति (लो) ने प्रारंभिक और बीच के चरण वाली कैंसर की दवाओं के लिए विशाखीकृत निधियों के आभासी अनुमान लगाए हैं, जिनसे यह पता चलता है कि $5-30 बिलियन के तथाकथित मेगाफ़ंड से, जिसमें 100-200 यौगिकों का समावेश हो, निवेश को पर्याप्त रूप से जोखिमरहित किया जा सकता है और उससे 9-11% के बीच लाभ भी अर्जित किए जा सकते हैं।
यह उद्यम पूंजीपतियों और निजी इक्विटी निवेशकों के लिए कोई आकर्षक क्षेत्र नहीं है, लेकिन यह पेंशन फंड, धर्मादा निधियों, और सरकारी धन निधियों जैसे संस्थागत निवेशकों की उम्मीदों के अनुरूप है। इसके अलावा, विविधीकरण से जोखिम में कमी होने से मेगाफ़ंड ऋण और इक्विटी भी बड़ी मात्राओं में जारी कर सकते हैं जिससे संभावित निवेशकों का समूह और भी अधिक व्यापक हो जाएगा।
इन आँकड़ों को संदर्भ से जोड़ने के लिए, इस पर विचार करें कि यूएस नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हैल्थ बुनियादी चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में प्रतिवर्ष $30 बिलियन से कुछ अधिक की निधि लगाती है, और फ़ार्मास्युटिकल रिसर्च एंड मैन्युफ़ैक्चरर्स ऑफ़ अमेरिका के सदस्यों ने अनुसंधान एवं विकास पर पिछले वर्ष लगभग $51 बिलियन की राशि खर्च की थी। मेगाफ़ंड दृष्टिकोण से इन दोनों निवेशों के बीच धन की खाई को पाट देने पर दोनों निवेशों को और अधिक उत्पादक बनाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, यह मॉडल छोटे पैमाने पर काम कर सकता है। और अधिक किए गए आभासी अनुमान यह दर्शाते हैं कि ऐसे रोगों के लिए चिकित्सा जैसे कुछ दवा वर्गों में विशेषज्ञता वाली निधियों के मामले में पोर्टफोलियो में सिर्फ $250-500 मिलियन डॉलर और अपेक्षाकृत कम यौगिकों के होने पर लाभ की दर दो अंकों में प्राप्त की जा सकती है।
बेशक, इस दृष्टिकोण में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। संबंधित यौगिकों के बड़े समूह और साथ ही किए जानेवाले दर्जनों दवा परीक्षणों का प्रबंध करना आसान नहीं होगा। सिमुलेशन से पता चलता है कि मेगाफ़ंड सभी चिकित्सीय क्षेत्रों में, सभी वर्गों की दवाओं के लिए काम नहीं करेंगे। उदाहरण के लिए, अल्ज़ाइमरों के उपचारों के विकास में मेगाफ़ंड मॉडल से लाभ होने की संभावना नहीं है।
लेकिन मेगाफ़ंड जहां काम करते हैं, वे दवा के विकास को काफी अधिक कुशल, और इसलिए कम महंगा भी बना सकते हैं। जीनोमिक्स क्रांति के बाद से कोई भी कंपनी पैमाने या वित्त की दृष्टि से, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई सभी प्रगतियों का अकेले उपयोग करने में सक्षम नहीं है, लेकिन किसी मेगाफ़ंड-समर्थित प्रयास से यह हो सकता है।
इस निधि द्वारा नियोजित शोधकर्ताओं द्वारा अलग-अलग परियोजनाओं में व्याप्त ज्ञान, सुविधाओं, और अत्याधुनिक उपस्कर, डेटा, और कंप्यूटिंग संसाधनों को साझा किया जा सकता है। विफलताएँ तेजी से और बहुत सस्ती होंगी क्योंकि हितधारक किसी एक परियोजना पर कम निर्भर होंगे।
उभरते बाजार वाले देशों को यह ध्यान रखना चाहिए। अधिकांश दवा और जैव प्रौद्योगिकी उद्योगों का पीछा कर रहे हैं। चीन ने सैकड़ों जीवन-विज्ञान अनुसंधान पार्कों की स्थापना की है और दवाओं के विकास के लिए राष्ट्रीय निधि में अरबों डॉलर के लिए प्रतिबद्धता की है; इसी तरह के कार्यक्रम भारत, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया में शुरू हो रहे हैं।
इन देशों के लिए, जैव-प्रौद्योगिकी शुरू करने या बड़ी दवा कंपनियों को प्रोत्साहन देने की पेशकश करने की तुलना में, सैकड़ों की संख्या में यौगिकों का परीक्षण करने के लिए किसी मेगाफ़ंड की स्थापना करना कहीं अधिक बेहतर होगा। बायोफार्मा मेगाफ़ंड से उद्योग में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलेगा, जिससे विकास की लागतें कम होंगी, सफलता दर अधिक होगी, और बाजार तक शीघ्र पहुँच होगी। क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को अधिक वेतन वाली अनुसंधान नौकरियों, उद्यमियों, निवेशकों, और सेवा प्रदाताओं के उन्हीं नेटवर्कों से लाभ प्राप्त होगा जो परंपरागत जीवन विज्ञान के नवाचार केंद्रों द्वारा तैयार किए जाएँगे।
लंदन के महापौर ने हाल ही में दवा के विकास में अग्रणी की भूमिका को बनाए रखने के लिए यूनाइटेड किंगडम की मदद करने के लिए $15 बिलियन के मेगाफ़ंड का प्रस्ताव करके इसी दृष्टिकोण को अपनाया। प्रत्यक्ष निवेश के अलावा, सरकारें इस प्रकार की निधियों का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहन भी दे सकती हैं - उदाहरण के लिए, बायोफार्मा अनुसंधान के लिए जारी बांडों के लिए गारंटी देकर।
किसी दवा को प्रयोगशाला से रोगी के बिस्तर तक पहुँचाने के लिए लंबे समय तक धनराशियों के भारी निवेश की आवश्यकता होती है। इस निधि निवेश का लाभ समाज और निवेशकों दोनों को मिलना चाहिए। उभरते देश दवा के विकास का वित्तपोषण करने के नए तरीके शुरू करके अग्रणी बनकर दुनिया के लिए बेहतर स्वास्थ्य और अधिक धन-दौलत का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।