न्यू यॉर्क – बीस साल पहले, 189 सरकारों द्वारा बीजिंग घोषणा और कार्रवाई के लिए मंच को अपनाया जाना महिलाओं के अधिकारों के इतिहास में एक निर्णायक अवसर था। यह सुधारवादी दस्तावेज़ महिलाओं और लड़कियों के लिए समान अवसरों को प्राप्त करने के प्रयास में प्रेरणा का एक शक्तिशाली स्रोत बना हुआ है।
लेकिन यद्यपि इस बीच के दशकों में काफी प्रगति हुई है, यह सुनिश्चित करने के लिए अभी भी और बहुत कुछ किया जाना बाकी है कि स्त्रियों और बच्चों को स्वस्थ जीवन, शिक्षा, और पूर्ण सामाजिक समावेशन की गारंटी दी जाती है। केवल 42 देशों में ही महिलाओं को राष्ट्रीय विधायिका में 30% से अधिक सीटें मिली हुई हैं, और उप सहारा अफ्रीका, ओशिनिया, और पश्चिमी एशिया में लड़कियों को अभी भी शिक्षा के उतने अवसर उपलब्ध नहीं हैं जितने कि लड़कों को उपलब्ध हैं।
लैंगिक समानता दुनिया की केवल आधी आबादी का ही चिंता का विषय नहीं है; यह एक मानव अधिकार है, हम सब के लिए एक चिंता का विषय है, क्योंकि कोई भी समाज आर्थिक राजनीतिक, या सामाजिक रूप से विकास नहीं कर सकता है यदि उसकी आधी आबादी हाशिए पर हो। हमें किसी को भी पीछे नहीं छोड़ देना चाहिए।
यह वर्ष वैश्विक कार्रवाई का वर्ष है। सरकारें सतत विकास के नए लक्ष्यों को अपनाएँगी, एक सार्थक जलवायु समझौता तैयार करने के लिए मिलकर काम करेंगी, और वैश्विक सतत विकास के कार्यक्रम को प्रदान करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध करने हेतु एक ढाँचा तैयार करेंगी। इनमें भाग लेनेवाले लोग इतने बुद्धिमान तो अवश्य होंगे कि वे यह याद रखे सकें कि समावेशी सतत विकास केवल तभी प्राप्त किया जा सकता है जब लैंगिक समानता सहित सभी मानव अधिकारों की रक्षा की जा सके, उनका सम्मान किया जा सके, और उन्हें पूरा किया जा सके।
हम तीनों में से प्रत्येक विभिन्न महाद्वीपों से हैं और हम तीनों इन अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रियाओं का समर्थन करते हैं। हम अपने काम के लिए आम प्रेरणा को साझा करते हैं: अपने बच्चों और नातियों के लिए अपनी धरती की रक्षा करने, और ऐसी दुनिया के विकास को सुनिश्चित करने के लि़ए जिसमें सभी लोगों को - उनकी लैंगिक स्थिति, जाति, धर्म, आयु, अक्षमता, या यौन अभिविन्यास चाहे कुछ भी हो - अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समान अवसर उपलब्ध होते हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि हम लिंग-आधारित भेदभाव और हिंसा के विरुद्ध लड़ाई में पुरुषों और लड़कों को सक्रिय रूप से लगाना जारी रखें। हमें यह अवसर मिला है कि हम बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए लड़कियों और लड़कों की एक ऐसी नई पीड़ी तैयार करें जो एक दूसरे का सम्मान करें और सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए मिलकर काम करें।
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लड़कियों को आवाज़ उठाने, चुनने, और अवसरों की समानता न देने से न केवल उनके जीवनों पर असर पड़ेगा, बल्कि इससे इस धरती का भविष्य भी प्रभावित होगा। समावेशी सतत विकास को प्रोत्साहित करने और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के प्रयास परस्पर अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं। यदि हमें विकास की चिंता है, तो हमें दुनिया भर में हो रहे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों के परिणामों की चिंता करनी चाहिए। और यदि हम तुरंत कार्रवाई नहीं करते हैं, तो हम उन प्राकृतिक प्रणालियों को अपूरणीय क्षति पहुँचाएँगे जिन पर जीवन निर्भर करता है।
यह कोई ऐसा ख़तरा नहीं है जिसे हम तब तक के लिए छोड़ सकते हैं जब तक हम दुनिया भर से ग़रीबी समाप्त न कर दें। और न ही यह कोई ऐसी समस्या है जिसे हम भावी पीढ़ियों द्वारा कार्रवाई किए जाने के लिए छोड़ सकते हैं। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो जलवायु परिवर्तन - विकास के अन्य अरक्षणीय स्वरूपों के साथ - हाल के दशकों में प्राप्त लाभों को पूरी तरह समाप्त कर सकता है। हमारे बच्चों के लिए स्थिर दुनिया सुनिश्चित करने में सभी देशों - विकसित और विकासशील - की भूमिका है।
गैर-धारणीय प्रथाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की दृष्टि से महिलाएँ सबसे अधिक कमज़ोर हैं क्योंकि उनके पास अक्सर कोई स्वतंत्र आय या भूमि के अधिकार नहीं होते हैं। कई देशों में, महिलाएँ अपने परिवारों के लिए पानी और भोजन की व्यवस्था करने के लिए ज़िम्मेदार हैं। और जब इन संसाधनों के सामान्य स्रोतों में बाधा आती है तो महिलाओं को और अधिक दूर तक चलकर जाने और कम लाभों के लिए अधिक समय लगाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अभाव के कारण उन्हें बच्चों को स्कूल से निकाल लेने या यह निर्णय लेने जैसे कठोर विकल्प चुनने पड़ते हैं कि परिवार का कौन सा सदस्य एक समय के भोजन के बिना रह सकता है ।
दुनिया भर के कई घरों में, पानी, भोजन, और ऊर्जा के घरेलू कार्यकलापों की कड़ी के मूल में महिलाएँ हैं - और इसलिए उन्हें अक्सर इन क्षेत्रों की चुनौतियों और संभावित समाधानों के बारे में सीधे रूप में जानकारी होती है। दुनिया भर में महिलाओं के साथ होनेवाली हमारी बातचीत में हमें न केवल उनके संघर्षों बल्कि उनके विचारों के बारे में भी पता चलता है, और उनमें से बहुत से विचारों को अगर लागू कर दिया जाए तो उनसे परिवर्तन लाया जा सकता है। महिलाओं को जिन समाधानों की ज़रूरत होती है वे उनकी सबसे अधिक संतोषजनक पैरोकार होती हैं, इसलिए सतत विकास के लिए और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के बारे में निर्णय लेने के मामले में उन्हें सबसे आगे होना चाहिए।
आगामी सप्ताहों में, महिलाओं की स्थिति पर आयोग के न्यूयॉर्क में होनेवाले 59वें सत्र के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय बीजिंग में 20 साल पहले दिए गए वचन को पूरा करने के मामले में हुई प्रगति का जायज़ा लेगा और यह आकलन करेगा कि कहाँ और अधिक प्रयासों की ज़रूरत है।
हम तीनों हर सुबह जब जागती हैं तो यही सोचती हैं कि यह कैसे किया जा सकता है। हर किसी को सोचना चाहिए। हम सभी महिलाओं और पुरुषों से अनुरोध कर सकते हैं कि वे हमारे साथ जुड़ें ताकि उनकी आवाज़ बुलंदी से सुनी जा सके और इस अवसर का सभी के लिए न्यायसंगत और अच्छे भविष्य के लिए लाभ उठाया जा सके।
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While scandals, culture wars, and threats to democracy dominate the headlines, the biggest issues in this super election year ultimately concern economic policies. After all, the rise of anti-democratic populist authoritarianism is itself the legacy of a misbegotten economic ideology.
considers what 40 years of anti-government, low-tax, deregulatory advocacy have wrought around the world.
Germany recently prohibited a Palestinian Congress from taking place in Berlin, arrested its Jewish supporters, and barred one of its organizers, Greece’s former finance minister, from entering the country. But the turn to repression is powerful evidence that the country’s pro-Israel political consensus is breaking down.
sees in his case an effort to enforce with repression a pro-Israel political consensus that is breaking down.
न्यू यॉर्क – बीस साल पहले, 189 सरकारों द्वारा बीजिंग घोषणा और कार्रवाई के लिए मंच को अपनाया जाना महिलाओं के अधिकारों के इतिहास में एक निर्णायक अवसर था। यह सुधारवादी दस्तावेज़ महिलाओं और लड़कियों के लिए समान अवसरों को प्राप्त करने के प्रयास में प्रेरणा का एक शक्तिशाली स्रोत बना हुआ है।
लेकिन यद्यपि इस बीच के दशकों में काफी प्रगति हुई है, यह सुनिश्चित करने के लिए अभी भी और बहुत कुछ किया जाना बाकी है कि स्त्रियों और बच्चों को स्वस्थ जीवन, शिक्षा, और पूर्ण सामाजिक समावेशन की गारंटी दी जाती है। केवल 42 देशों में ही महिलाओं को राष्ट्रीय विधायिका में 30% से अधिक सीटें मिली हुई हैं, और उप सहारा अफ्रीका, ओशिनिया, और पश्चिमी एशिया में लड़कियों को अभी भी शिक्षा के उतने अवसर उपलब्ध नहीं हैं जितने कि लड़कों को उपलब्ध हैं।
लैंगिक समानता दुनिया की केवल आधी आबादी का ही चिंता का विषय नहीं है; यह एक मानव अधिकार है, हम सब के लिए एक चिंता का विषय है, क्योंकि कोई भी समाज आर्थिक राजनीतिक, या सामाजिक रूप से विकास नहीं कर सकता है यदि उसकी आधी आबादी हाशिए पर हो। हमें किसी को भी पीछे नहीं छोड़ देना चाहिए।
यह वर्ष वैश्विक कार्रवाई का वर्ष है। सरकारें सतत विकास के नए लक्ष्यों को अपनाएँगी, एक सार्थक जलवायु समझौता तैयार करने के लिए मिलकर काम करेंगी, और वैश्विक सतत विकास के कार्यक्रम को प्रदान करने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध करने हेतु एक ढाँचा तैयार करेंगी। इनमें भाग लेनेवाले लोग इतने बुद्धिमान तो अवश्य होंगे कि वे यह याद रखे सकें कि समावेशी सतत विकास केवल तभी प्राप्त किया जा सकता है जब लैंगिक समानता सहित सभी मानव अधिकारों की रक्षा की जा सके, उनका सम्मान किया जा सके, और उन्हें पूरा किया जा सके।
हम तीनों में से प्रत्येक विभिन्न महाद्वीपों से हैं और हम तीनों इन अंतर्राष्ट्रीय प्रक्रियाओं का समर्थन करते हैं। हम अपने काम के लिए आम प्रेरणा को साझा करते हैं: अपने बच्चों और नातियों के लिए अपनी धरती की रक्षा करने, और ऐसी दुनिया के विकास को सुनिश्चित करने के लि़ए जिसमें सभी लोगों को - उनकी लैंगिक स्थिति, जाति, धर्म, आयु, अक्षमता, या यौन अभिविन्यास चाहे कुछ भी हो - अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए समान अवसर उपलब्ध होते हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि हम लिंग-आधारित भेदभाव और हिंसा के विरुद्ध लड़ाई में पुरुषों और लड़कों को सक्रिय रूप से लगाना जारी रखें। हमें यह अवसर मिला है कि हम बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए लड़कियों और लड़कों की एक ऐसी नई पीड़ी तैयार करें जो एक दूसरे का सम्मान करें और सभी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए मिलकर काम करें।
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यह कोई ऐसा ख़तरा नहीं है जिसे हम तब तक के लिए छोड़ सकते हैं जब तक हम दुनिया भर से ग़रीबी समाप्त न कर दें। और न ही यह कोई ऐसी समस्या है जिसे हम भावी पीढ़ियों द्वारा कार्रवाई किए जाने के लिए छोड़ सकते हैं। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो जलवायु परिवर्तन - विकास के अन्य अरक्षणीय स्वरूपों के साथ - हाल के दशकों में प्राप्त लाभों को पूरी तरह समाप्त कर सकता है। हमारे बच्चों के लिए स्थिर दुनिया सुनिश्चित करने में सभी देशों - विकसित और विकासशील - की भूमिका है।
गैर-धारणीय प्रथाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की दृष्टि से महिलाएँ सबसे अधिक कमज़ोर हैं क्योंकि उनके पास अक्सर कोई स्वतंत्र आय या भूमि के अधिकार नहीं होते हैं। कई देशों में, महिलाएँ अपने परिवारों के लिए पानी और भोजन की व्यवस्था करने के लिए ज़िम्मेदार हैं। और जब इन संसाधनों के सामान्य स्रोतों में बाधा आती है तो महिलाओं को और अधिक दूर तक चलकर जाने और कम लाभों के लिए अधिक समय लगाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अभाव के कारण उन्हें बच्चों को स्कूल से निकाल लेने या यह निर्णय लेने जैसे कठोर विकल्प चुनने पड़ते हैं कि परिवार का कौन सा सदस्य एक समय के भोजन के बिना रह सकता है ।
दुनिया भर के कई घरों में, पानी, भोजन, और ऊर्जा के घरेलू कार्यकलापों की कड़ी के मूल में महिलाएँ हैं - और इसलिए उन्हें अक्सर इन क्षेत्रों की चुनौतियों और संभावित समाधानों के बारे में सीधे रूप में जानकारी होती है। दुनिया भर में महिलाओं के साथ होनेवाली हमारी बातचीत में हमें न केवल उनके संघर्षों बल्कि उनके विचारों के बारे में भी पता चलता है, और उनमें से बहुत से विचारों को अगर लागू कर दिया जाए तो उनसे परिवर्तन लाया जा सकता है। महिलाओं को जिन समाधानों की ज़रूरत होती है वे उनकी सबसे अधिक संतोषजनक पैरोकार होती हैं, इसलिए सतत विकास के लिए और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के बारे में निर्णय लेने के मामले में उन्हें सबसे आगे होना चाहिए।
आगामी सप्ताहों में, महिलाओं की स्थिति पर आयोग के न्यूयॉर्क में होनेवाले 59वें सत्र के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय बीजिंग में 20 साल पहले दिए गए वचन को पूरा करने के मामले में हुई प्रगति का जायज़ा लेगा और यह आकलन करेगा कि कहाँ और अधिक प्रयासों की ज़रूरत है।
यह वर्ष महत्वपूर्ण होगा। जुलाई में होनेवाले विकास के लिए वित्त सम्मेलन, सितंबर में होनेवाले सतत विकास के लक्ष्यों पर विशेष शिखर सम्मेलन, और दिसंबर में होनेवाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हमें सतत विकास को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के प्रयास में लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण को पूरी तरह से एकीकृत करने का अवसर मिलेगा।
हम तीनों हर सुबह जब जागती हैं तो यही सोचती हैं कि यह कैसे किया जा सकता है। हर किसी को सोचना चाहिए। हम सभी महिलाओं और पुरुषों से अनुरोध कर सकते हैं कि वे हमारे साथ जुड़ें ताकि उनकी आवाज़ बुलंदी से सुनी जा सके और इस अवसर का सभी के लिए न्यायसंगत और अच्छे भविष्य के लिए लाभ उठाया जा सके।